हार्मोन्स को संतुलित करने में मदद करते हैं ये 10 फूड्स

हार्मोन्स को संतुलित करने में मदद करते हैं ये 10 फूड्स

डॉ. दिपिका

हमारे शरीर में कुल 230 तरह के हॉर्मोंस होते हैं, जो शरीर में अलग-अलग कामों को कंट्रोल करते हैं। हॉर्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिका के काम करने के तरीके को बदलने के लिए काफी है। दरअसल, यह एक केमिकल मेसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं। हार्मोन्स के संतुलन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी का असर फौरन हमारी भूख, नींद और तनाव के स्तर पर दिखने लगता है। असंतुलन से अर्थ है कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बनता है या फिर बहुत कम। इसे समय रहते ठीक करना जरूरी है। हमारे शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन होता है, जो हमें किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है। इसी हार्मोन की वजह से दिल की धड़कन, रक्तचाप और रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।

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हार्मोन्स क्या हैं?

हार्मोंस हमारी बॉडी में मौजूद कोशिकाओं और ग्रन्थियों में से निकलने वाले केमिकल्स होते हैं, यह एंडोक्राइन ग्रंथि से बनने वाला रसायन होता है। जो खून के जरिए शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचकर उन्हें अलग-अलग कार्यों के लिए एक संदेशवाहक के रूप में निर्देश देते हैं, या यूं कहें कि हार्मोन्स शरीर के दूसरे हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या ग्रन्थियों पर असर डालते हैं। हार्मोन्स में असंतुलन होने यानी छोटी सी मात्रा घटने व बढ़ने से इसका असर हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम, शरीर के डिवेलपमेंट और मूड पर पड़ता है। कई हार्मोन, एक दुसरे हार्मोन को कंट्रोल करते हैं। उम्र, तनाव की अधिकता, अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा वजन या कुछखास दवाओं के कारण हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी हो सकती है। अगर आप अपने हार्मोन्स को संतुलित करना चाहते है तो ये 10 फूड्स आपकी मदद करेंगे।

1- एवोकाडो-

एवोकाडो एक फल हैं। एवोकाडो दोनों नमकीन और मीठे व्यंजनों में होता है। एवोकाडो को स्वाद के लिए अन्य व्यंजन में प्रयोग करते हैं, लेकिन आपकी सोच से कहीं ज्यादा ये आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। एवोकाडो के सेवन से स्ट्रेस हार्मोन्स संतुलित होते हैं। इसके अलावा मासिक धर्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स को भी संतुलित करता है।

एवोकाडो में बीटा-सिटोस्टेरॉल भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित करता है और स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल (cortisol) को संतुलित करने में मदद करता है। एवोकाडो में मौजूद प्लांट स्टेरोल का एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन पर भी असर पड़ता है, ये ऐसे दो हार्मोन्स हैं जो महिलाओं में ओवुलेशन यानी अंडोत्सर्ग और और मासिक धर्म चक्र को कंट्रोल करते हैं।       

2- फ्लेक्ससीड या अलसी के बीज-

आपने इस नए फ़ूड के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अलसी आपके हॉर्मोन के लिए हर तरह से फायदेमंद होती है। 

फ्लैक्ससीड यानी अलसी फाइटोएस्ट्रोजेन का बहुत महत्वपूर्ण सोर्स होता है। इसमें विशेष रूप से फाइटोएस्ट्रोजन पाया जाता है जिसे लिग्नंस कहा जाता है। लिग्नंस में एस्ट्रोजेनिक और एंटीस्ट्रोजेनिक दोनों पाए जाते हैं, जो कई तरह के कैंसर से सुरक्षा देने में मदद करते हैं। अलसी में ओमेगा -3 फैटी एसिड, फाइबर, और एंटीऑक्सिडेंट का एक बड़ा स्रोत होता है। इसलिए इसे रोज ओटमील में शामिल करें या इसकी स्मूदी बनाकर खाएं।

3- ब्रोकली-

हमेशा आपको ब्रोकली खाने के लिए कहा जाता है, इसका भी एक कारण है। ब्रोकली सेहत को कई फायदे देने के अलावा हार्मोन्स को भी संतुलित करता है। यह सब्जी एस्ट्रोजन संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। इसमें बहुत ज्यादा कैल्शियम पाया जाता है, इसलिए ये प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म शुरू होने से कुछ दिन पहले प्रभावित करती हैं) में मदद करती है। ब्रोकोली में फाइटोएस्टोजेनिक यौगिक होते हैं जो एस्ट्रोजन मेटाबॉलिज़्म को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा शरीर को बुरे वातावरण और खराब एस्ट्रोजेन से बचाने में मदद करते हैं।

4- अनार-

अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार इसमें एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। शरीर में एक्स्ट्रा एस्ट्रोजेन प्रोडक्शन को रोकने में मदद कर सकता है। इसके अलावा अध्ययन में यह भी पाया गया कि अनार में एस्ट्रोजेन के प्रति प्रतिक्रिया देने वाले स्तन कैंसर के प्रकारों को रोकने की क्षमता होती है।   

अनार एक ऐसा नेचुरल कंपाउंड या यौगिक हैहोते हैं जो महिलाओं के शरीर में उन एंजाइम को रोक सकता है, जो कि एस्ट्रोन को एस्ट्राडियोल बदलते हैं। यह एक ऐसा एस्ट्रोजेन होता है जो हार्मोन पर आधारित कैंसर के होने में अहम भूमिका निभाता है।

5- सैल्मन-

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हफ्ते में कम से कम दो बार वसायुक्त मछली जिसमें omega-3s हो खाना महत्वपूर्ण है। साल्मन, मैकेरल, हेरिंग, लेक ट्राउट, सार्डिन, या अल्बाकोर टूना जैसी मछली आपके दिल को स्वस्थ रखती हैं। इसके अलावा हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करती हैं।

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वसायुक्त मछली सेल-टू-सेल कम्युनिकेशन के लिए अच्छा पोषण देती हैं, जिससे हार्मोनल कम्युनिकेशन को बेहतर होता है। इसके अलावा यह मूड और दिमागी क्षमता बेहतर बनाती है।

6- हरी पत्तेदार सब्जियां-

हरी पत्तेदार सब्जियां में पाए जाने वाले पोषक तत्व हार्मोन को संतुलित करने में काफी मदद करती हैं। इसमें कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां तनाव के स्तर को कम करने में मदद करती हैं, जो कि कोर्टिसोल के स्तर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा ये  एस्ट्रोजेन को संतुलित करती है।    

कोलार्ड ग्रीन्स, पालक, केल, बीट ग्रीन्स, डंडेलियन ग्रीन्स और स्विस चर्ड जैसी कुछ सब्जियां भी आयरन का अच्छा स्रोत हैं। इसलिए अपने रोज के खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों को जरूर शामिल करें। क्योंकि आयरन की कमी से थकान, ब्रेन फॉग और सिरदर्द की समस्या हो सकती हैं।

7- नट्स-

बादाम जैसे नट्स आपके एंडोक्राइन सिस्टम पर प्रभाव डालते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा

ये इंसुलिन के स्तर को कम करने और ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित कर सकते हैं।  

स्पेशली अखरोट में पॉलीफेनोल होते हैं, जो हमारे शरीर के फ्री रेडिकल से लड़कर हमारे हृदय और हृदय प्रणाली की रक्षा करते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा -3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है।

8- सोया-

हम में से अधिकांश जानते हैं कि सोया एस्ट्रोजेन के स्तर को प्रभावित करता है, लेकिन इसका सेवन करने से बहुत सरे पॉजिटिव फायदे मिलते हैं। खासतौर पर  रजोनिवृत्ति के दौरान काफी फायदा मिलता है। यह हॉट फ्लैशेस के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा सोया स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने में भी सक्षम होता है। हालांकि यह माना जाता है कि सोया स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।  क्योंकि यह शरीर में एस्ट्रोजेन को डुप्लीकेट कर बढ़ा सकते हैं। लेकिन वास्तव यह पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से सोया का सेवन करते हैं, वे  स्तन कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं।

9- हल्दी-

हल्दी केवल भारतीय व्यंजनों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला नहीं है। यह एक अद्भुत मसाला है, एक सुपर फूड है। अदरक की ही तरह ही हल्दी का खाने योग्य हिस्सा कुरकुमा लौन्गा (curcuma longa) पौधे की जड़ है। हल्दी के एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण इम्युनिटी यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करते हैं। हीमोग्लोबिन काउंट में सुधार करेगा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। इसमें कर्क्यूमिन नामक एक सक्रिय घटक होता जो दर्द में वैसे ही काम करता है जैसे दर्द निवारक दवाइयां करती है। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन दिमाग के ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (BDNF) के स्तर को बढ़ाता है, एक प्रकार का विकास हार्मोन जो आपके मस्तिष्क में कार्य करता है।BDNF का घटता स्तर मस्तिष्क संबंधी बीमारियों जैसे डिमेंशिया, अल्जाइमर रोग और अवसाद की शुरुआत से जुड़ा हुआ है। नियमित रूप से हल्दी का सेवन करने से, यहां तक कि कई मामलों में मस्तिष्क क्षय और माइंड फंक्शन को रिवर्स और ख़राब होने से रोक सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि करक्यूमिन अमाइलॉइड प्लाक  को क्लियर करता है जो प्रोटीन tangles का एक निर्माण है और अल्जाइमर रोग होने का एक प्रमुख कारण है। यदि बच्चों को बहुत कम उम्र से हल्दी दी जाती है तो वह तेज बौद्धिक विकास से बढ़ेगें।

10- कीनुआ-

कीनुआ में हाई-क्वालिटी प्रोटीन एवं कार्बोहैड्रेट्स के साथ-साथ कम ग्लिसेमिक वैल्यू शामिल हैं, ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट्स भी हैं। कीनुआ ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करता है। यह इंसुलिन और एण्ड्रोजन के स्तर को नीचे रखता है।

टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ हार्वर्ड के अनुसार कीनुआ कई लाभों से भरा है। क्विनोआ प्रोटीन और फाइबर का एक बड़ा स्रोत है। इसमें प्रति कप में  8 ग्राम प्रोटीन और 5 ग्राम फाइबर होता है। हृदय संबंधी रोगों के जोखिम को कम करने और समस्त हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए भी अच्छा माना जाता है। कीनुआ को प्रोटीन और एमिनो एसिड का समृद्ध स्रोत माना गया है। यह आवश्यक अमीनो एसिड का स्रोत है जैसे कि लाइसिन, मेथियोनीन, और ट्रिप्टोफैन। वास्तव में, यह सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड के लिए एक अच्छा स्रोत है। कीनुआ को आप अपने आहार में विभिन्न तरीकों से शामिल कर सकते हैं, नाश्ते में दलिया के रूप में और सलाद में जोड़ा सकता है। कीनुआ को सूप को गाढ़ा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, और कीनुआ आटे का इस्तेमाल ग्लूटन-फ्री बेकिंग में किया जा सकता है।

 

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